Tuesday, November 28, 2017

बाबा

होत भिनसार हाथेम लिहे खरहरा
बाबा बहारैं बरोठा दुआरा।
गाय के गोबरेस लिपावैं ओसारा
उठि जायं खटियस होत भिनसरवा।
मुँहअँधेरेन दुहि कै गईवा
हाथ-मुँह धोई कै करिकै दतुइनिया।
बाबा बरै लागैं पगहवा 
भाँजैं लागैं रसरिया।।
होत सकार सिवान वै घूमैं
सबकै कुशल जाना वै चाहैं
पाती-पाती बहारि कै लावैं
सँझक वही कै कौरा जलावैं।
जब बाबा कौरा तापै बइठैं 
जुग-जुग्गातन कै बात वै खोदैं।
पुरखन कै सब बात बतावैं
बनी-बिगड़ी कै कहानी सुनावैं।।
कहानी बतावैं कि कब बहिया आई।
कब गउँवा का आवा सिपाही 
केहकै चलै मुकदमा केहसे
केहकै केहसे बैर-मिताई।।
कौरा पर जब बैठैं तापै बाबा
मानौ कि इतिहासेक पन्ना जागा
ऊ सब बतावैं जौन कोई न जानै
ऊ सब बतावैं जेहकै लोहा सब मानैं ।
बतावैं पुरान-से-पुरान वै बतिया
बतावैं कि के के रहा दुःख कै संगतिया।
बतावैं कि केस छावा जात रहा छपरा
बतावैं कि केस बीतत बरखा रहा
बतावैं कि हेंवँत मा केस जूड़ होत रहा।
जेस-जेस पाती जरै चिनगी निकरै
वस वस बाबा के मुँहा से पुरान बात बहै
वै अपने जमाना मा हेराय जात रहे
घिउ औ दूध मा नहाय जात रहे
गाढ़ दिनन कै कहानी सुनावत रहे
बड़े चाव सेहमका बतावत रहे। 
हम सुनी न सुनी वै कब्बौ न सौचैं
बस अपने जुग कै बात वै बाँचैं।।
नान्हेप ऊ प्रबचन कब्बौ नीक लागै
कब्बौ वहसे मना ई भागै।।
बाबा रसरी ब्रैंड रसरिया का भाँजैं
दिन दिन गाइक पगहवा बनावै
कब्बौ झलुअवा कै रसरी बरैं
तौ कब्बौ पटरवा कै नाप वै देखै। 
तकली से सूत काटै क हम का बताइन
सन से रसरी बरै हमका सिखाइन
औ सिखाइन कि स्काउट बनै चाही सबका
बताइन कि स्वावलम्बी हुवै चाही सबका। 
ठंडी मा घामेम घमौनी वै कराइन
लच्छी डाँडी यस सुंदर खेल वै खेलाइन
बताइन व्यायाम कै महत्व है कतना
समझाइन कि परिश्रम कै माने है कतना।
कथा परम्परा कै परिचय वै दिहिन
रामायण महाभारत कै कथा कहिन
सुनाइन देस दुनिया कै कहानी सब 
बताइन भारत मा का कहाँ कब
हम जौन कुछ जानेन उनकी के कृपा से
हम जौन कुछ समझेन उनहीं के दया से।
तनी तनी नीक नीक बतिया बचाइनिवै
बिना कुछ समझाये बहुत कुछ समझाइन वै।। 
हम जौन कुछ जानित है अपने बिसय मा
जौन कुछ समझित है परम्परा के बिसय मा।
सबकै आधार वई हैं बाबा
हमरे जीवन कै दर्शन वई देखाइन
हमरे जीवन का वई चलै बताइन। 
उनके ऋन न उरिन होब कब्बौ
हमरे स्मृति मा बसे हौं बाबा तू आजौ।। 

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